सुमि तीन दिन से बाजार के चक्कर काट रही थी। साड़ी ,बिंदी,मैचिंग झुमके क्या नहीं ख़रीदा उसने ?
उसकी बेटी अदिति उसको देख- देख के हैरान हुयी जा रही थी, मम्मी को अचानक ये क्या हुआ- आज सुबह- सुबह उठके पूजा कर रही है। मम्मी तो कभी मंदिर तक नहीं जाती। उसका कोमल मन अपने कौतुहल को रोक न सका और उसने पूछा – मम्मी, आपको क्या हुआ है ? आप तो कभी पूजा नहीं करती हो ?
सुमि ने अपने मेहँदी सजे हाथो की कटोरी, अदिति के चेहरे पर बनाते हुए कहा – ‘मेरी गुड़िया रानी -आज करवा चौथ है इसलिए मेरा उपवास है, आज मैं निर्जल व्रत रखूंगी और फिर चन्द्रमा की पूजा करके ही कुछ खाउंगी या पियूँगी। ये व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए रखती है’।
ये सुनते ही नन्ही अदिति बोली- ‘पर माँ आप तो व्रत उपवास में नहीं मानती न ? आप तो अपने सारे स्टूडेंट्स को पढ़ाती हो कि कर्म पर विश्वास करो ,धर्म के ढकोसले छोड़ो, बिना विचारे रीति रिवाज के पीछे नहीं भागना चाहिए ? फिर ये कैसे ? क्या आपको सच में लगता है आपके उपवास करने से पापा की उम्र लम्बी होगी ? क्या माँ आप भी ? ये व्रत क्यों रख लिया ? सुमि ने अदिति से कहा –‘मैं जानती हूँ ,मेरे भूखे रहने से तेरे पापा की आयु का कोई लेना देना नहीं है, जो महिलाये उपवास नहीं करती ,उनके पति भी उतनी ही आयु जीते है जितना भाग्य में लिखित है और उपवास करने वालो के भी। फिर भी मैं ये इसलिए करती हूँ क्यूंकि तुम्हारी दादी ने हमेशा से ये त्यौहार मनाया है, तुम्हारे पापा ने सदा से ये देखा है। उन्होंने हमेशा से मुझे प्यार और सम्मान दिया है’।मैं ये उपवास इसलिए करती हूँ कि उन्हें ऐसा न लगे कि मुझे उनसे प्रेम नहीं ,उनके प्रति कोई भावना नहीं ? मेरी सभी साइंस की बातें तो याद है मुझे भी ,किन्तु हम इंसान हैं, हम भावनाओ से जुड़े हैं तो एक दूसरे की भावनाओ का सम्मान करना और रिश्तो को प्रेम रूपी जल से सींचना हमारा कर्त्तव्य भी है और हमारे जीने का आसरा भी’।
दस साल की अदिति कितना समझी सुमि की बातो को ,ये तो वह ही जाने! पर सुमि ने माँ होकर बेटी के मन में प्रेम का बीज बोया और पत्नी होने का कर्त्तव्य भी निभाया।