ज़िद है

अब फिर से खुदको तलाशने की ज़िद है
देखा मिलो तक,पर दिखती नहीं कोई हद है
इन ठंडी बयारों में गर्माहट की ज़द है
तुम्हारी पुकार में आवाज़ मद्धम एहसास बेहद है
अपने आकाश को फिरसे रंगने की ज़िद है
इस इंद्रधनुष के रंग छोड़ के नया रंग बनाने की ज़िद है
ज़िन्दगी को संभालने की नाहक ही जद्दोजहद है
इस पल को जी लें इसमें ही ज़िन्दगी बेहद है
अब फिर से खुदको तलाशने की ज़िद है

ज़िद है